अध्यापक संविदा संयुक्त मोर्चा के आहवान पर 27 जून 2016 सोमवार को शाम 4 बजे सभी जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर महोदय को इस बार ज्ञापन न देकर अपनी वेदना का पत्र देंगे,हम सबकी वेदना असीमित है,इस एक निश्चित प्रारुप में बखान नहीं किया जा सकता,निम्न प्रारुप मेरी व्यक्तिगत वेदना हो सकती है।इसी आधार पर आप अपनी वेदना को पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री जी को भेंजे।
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मुख्यमंत्री के नाम अध्यापक संवर्ग की वेदना
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मान्यवर,श्री शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री
म.प्र.शासन भोपाल
सरकारी शालाओं में कार्यरत और निकायों द्वारा नियुक्त शिक्षा कर्मियों,संविदा शिक्षकों,और गुरुजियों की प्रारंभ से ही"शिक्षा विभाग में संविलियन"की मांग रही है।जिससे हम शिक्षकों के समान पदनाम,वेतनमान और सुविधाओं को प्राप्त कर सरकारी शालाओं में पढ़ने वाले गरीब मजदूर किसान के बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर भावी पीड़ी का निर्माण कर सकें।
इस मांग को पूरा करने के लिए हमने न्यायालयीन प्रक्रिया के साथ पहले आवेदन,निवेदन,फिर आंदोलन का सहारा लिया लेकिन आपने हमें शिक्षक के स्थान पर अध्यापक बनाकर आर्थिक और मानसिक शोषण की व्यवस्था को जारी रखकर हमें अपनी मांग पूरी करने के लिए पुनः आन्दोलनों के लिए विवश किया है।
अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए बार-बार के आन्दोलनों से आपके मन में हमारी छवि शिक्षक की वजाय आदतन हड़ताली की हो गई होगी।जबकि अधिकांश आंदोलन अधिकारी वर्ग की कार्यप्रणाली से हुए हैं,इस संबंध में आपको कई बार अवगत कराने के बाद भी ये अधिकारी आज भी निरंकुश हैं।इसका ताजा उदाहरण 5 जनवरी 2016 को मंत्री परिषद द्वारा पारित संक्षेपिका को बदलकर मनमाने ढंग से आदेश जारी करना है,जिसके अनुसार वर्तमान में प्राप्त हो रहे वेतन से कम वेतन होने के विरोध के कारण आपको जारी आदेश को रोकना पड़ा,इससे आम जनता में आपकी और सरकार की छवि खराब हुई है।
मन्त्री परिषद के अनेकों फैसले और आपकी अनेक घोषणाओ के आदेश अधिकारीयों ने आज तक जारी ही नहीं किये या देर सबेर जो आदेश जारी किये वो इतने विसंगति पूर्ण रहे हैं कि उनका कोई लाभ अध्यापक संवर्ग को सरकार की मंशानुसार नहीं हो सका।
सरकारी शालाओं की गुणवत्ता हेतु हमारी मांगों को माना जाये इस संबंध में अनेक समितियों,यूनिसेफ, NGOS,शिक्षा विदों और न्यालालयों के सुझाव और विचारों को नकारकर आपने सरकारी शालाओं की गुणवत्ता युक्त, मुफ़्त शिक्षा को गरीब मजदूर किसान के बच्चों को पूर्व की भांति बहाल नहीं किया।आपकी ये कार्यप्रणाली शिक्षा के व्यवसायीकरण को बढ़ावा दे रही है।
आपने हमारी मांगों को पूरा करने की अपेक्षा हमारे कई नेतृत्व कर्ताओं को को अपने पक्ष में कर हमारे संगठनात्मक ढांचे को कमजोर किया है।
आपके नेतृत्व में तीसरी बार आपकी सरकार के काबिज होने के बावजूद भी आपके द्वारा,आपके मंत्रियों के द्वारा तथा आपकी पार्टी के अनेक प्रवक्ताओं के द्वारा पद्रह साल पूर्व की सरकार द्वारा देय मानदेय को वर्तमान वेतनमान से प्रतिशत में कई गुना वृद्धि बताकर भ्रमित किया हैं।जबकि इन वर्षों में आपने अन्य कर्मचारियों को भरपूर वेतनमान दिया है।विधायकों और मंत्रियों के वेतन में व्रद्धि कर वित्तीय भार वहन किया है,लेकिन तीन लाख अध्यापकों को वित्तीय स्थिति का रोना रोकर नियनानुसार और समय पर वेतनमान से वंचित किया है।
विदित हो कि आपने 2013 में झाबुआ,उज्जैन,तथा 2015 में मुम्बई से अध्यापक संवर्ग को समान कार्य समान वेतन की बार बार घोषणा कर प्रदेश और देश की जनता को यह सन्देश दिया है,कि,हमने अध्यापकों का वेतनमान शिक्षकों के समान कर दिया है,जबकि आज भी अध्यापक संवर्ग के कर्मचारी इससे वंचित हैं।
1 जनवरी 2005 के पूर्व के कर्मचारी होने के बाबजूद भी सामान्य भविष्य निधि योजना(GPF) से वंचित कर नवीन अंशदायी पेंशन योजना (CPF) लागू कर पेंशन,परिवार पेंशन एवं ग्रेच्युटी से वंचित कर दिया गया है
इन वर्षों में पुरुषों की स्थानांतरण नीति,वरिष्ठ अध्यापक की पदोन्नति,गंभीर बीमारी होने पर चिकित्सा प्रतिपूर्ति भत्ता (मेडिकल क्लेम),यात्रा भत्ता,दैनिक भत्ता,मकान भाड़ा भत्ता,तथा बीमा योजना का लाभ नहीं दिया आपने मुर्गा मुर्गी का बीमा तो किया है पर हम अध्यापकों का बीमा नहीं किया अध्यापक की मृत्यु होने पर उसके आश्रितों को फूटी कोड़ी भी नही मिलती, सेवा निर्वत्त हो चुके कई अध्यापक कर्मचारी,खाली हाथ घर लौटे चुके हैं।असमय स्वर्गवासी के आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के सख्त नियमों के कारण भटक रहे हैं।हजारों विधवा महिलायें और पुत्र पुत्रियों को अनुकम्पा नियुक्ति के आधार पर नोकरी नहीं मिल रही है।जिन्दा में उपेक्षा तो ठीक मरने के बाद भी दाह संस्कार के लिए देय अनुग्रह राशि जो अन्य कर्मचारियों को पचास हजार तो अध्यापकों को पच्चीस हजार रुपये मिलती है।
शिक्षा जैसे पवित्र कार्य करने का अवसर पाकर हम अपने आपको सौभाग्य शाली मानते हैं।पर सरकारी शालाओं में स्वतंत्र रुप से अध्यापन कार्य करने हेतु तथा हमारी शोषित मानसिकता को संबल प्रदान करने हेतु हमें शासकीय शिक्षक का दर्जा दिया जाना नितांत आवश्यक है।
गैर शिक्षकीय कार्यो से मुक्त कर हमसे केवल अध्यापन कार्य कराया जाये।
अध्यापन कार्य जरुरी है।
आंदोलन तो मज़बूरी है।।
6 माह पूर्व की गई वेतनमान की बार-बार की गई घोषणा अनुसार जारी एवं रोके गए आदेश में व्याप्त विसंगतियों को दूर कर समान कार्य समान वेतन के आदेश नियमानुसार जारी किये जाएँ तथा शिक्षा विभाग में संविलियन की नीति बनाकर अबिलंब आदेश जारी करने की कृपा करें।
आशा है इस बार आप विशेष रुचि लेकर बार-बार के विरोधाभास को पूर्ण से समाप्त कर हम सबको शालाओं में अध्यापन कार्य हेतु पीड़ित मानसिकता से उबारकर सुरक्षित भविष्य और सम्मानित पद के अवसर प्रदान करेंगे।
सादर संप्रेषित
जय हिन्द,जय मध्यप्रदेश
आरिफ अंजुम
अध्यापक संविदा संयुक्त मोर्चा
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