साथियों, मैं विगत पिछले कुछ दिनों की घटना क्रम और ग्रुप्स में आरोप-प्रत्यारोप को पढ़ रहा हूँ। जिसे सुन कर या पढ कर मेरा ही नहीं हर अध्यापक को दुःख हुआ होगा|
फिर एक बार उसने सोचा होगा की अब पुन: वही कहानी दोहराई जाएगी और विघटन की पृष्टभूमि पर एक बार फिर अध्यापक हित आहात होगा|
अब वह समय आ गया है की हम अध्यापक यह अच्छी तरह से समझ ले की हमें अब एक ही रहना है और आपने हक़ को ले कर रहना है, तब ही हम जीत सकते है|
हमारा कोई संघ नहीं है हमारा है तो सिर्फ और सिर्फ संग है|*
हमें आपना और आपने साथियों का संग निभाना है जो अध्यापक हित के लिए कार्य करते आ रहे है|
मैं यहाँ अध्यापक हित की बात पर जोर इस लिए भी डाल रहा हूँ क्योकि अध्यापक हित में ही हम सब का हित है, इस प्रदेश का हित है, इस के छात्रो का हित है, इस देश के भविष्य का हित है|
साथियों *हम अध्यापक* इस देश की आँखों है जो आने वाले समय को कई वर्षों पहले देख कर इस देख की युवा पीढ़ी को तैयार कर देता है| क्या हम ऐसे बन गए है की हम आपने ही भविष्य को नहीं बना पा रहे है और उसे देखा नहीं पा रहे तो....
ये हमारी ही लाचारी और अकर्मण्यता है|
*हमें एक होना होगा, आपने लिए, इस देश के भविष्य के लिए और आपनी आने वाली पीढ़ी के लिए|* साथियों हम हमारे मुख्यमंत्री जी से आपने लिए एक उचित वेतन मान
की माँग कर रहे है यह उन्होंने स्वीकार तो कर ली है पर जिस तरह से वो लेट-लतीफ़ हो रही है उससे अध्यापकों में एक तरह का रोष है| *हमें आपनी बात को उन तक पुरे जोर और शिद्दत से पहुचना है| हम अध्यापकों का और सभी संघो का यह दायित्व है की हम एक दुसरे के संग हो ले ताकि हम अध्यापकों के साध्य पुरे हो सके|*
*यह कार्य शांति और मर्यादा में रह कर के हो तो और भी अच्छा रहेगा|*
*हरिगोविन्द मिश्रा*
*संभागीय प्रवक्ता आस*
*सागर।*
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