सरकारी मास्टर गेर शैक्षणिक सरकारी बेगारी का दंश।।
वर्तमान में मास्टरों का विश्राम काल चल रहा है जो की उनका अधिकार भी है शिक्षकों को वर्ष में 45 दिवस की अतिरिक्त छुट्टी ग्रीष्मकालीन अवकाश के रूप में मिलती है। अन्य कर्मचारियों को भी द्वितीय एवं तृतीय शनिवार सहित 25 से 30 छुट्टी अन्य शासकीय छुट्टी के अलावा प्रदान की जाती है। शिक्षकों को पारिवारिक कार्य करने के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश मिलता है।
परन्तु कुछ वर्षो से सरकारी योजनाओं व शिक्षा विभाग के अफसर शाही आदेशो के चलते ये विश्राम लाभ की सुविधा हमारे मास्टर उठा ही नही पा रहे है जबकि पुरे वर्ष लगभग 20 गेर शैक्षणिक कार्यो के साथ वो शिक्षण कार्य कर भारत का व प्रदेश का भविष्य साक्षर कर रहे है।
वर्तमान में 14 अप्रेल से 30 मई तक मुख्यालय न छोड़ने व भारत उदय व ग्राम संसद जैसे कार्यो के साथ साथ मास्टरों से लगभग आधा दर्जन ऐसे विभागों का कार्य करवाया जा रहा है जिनमे सेकड़ो की संख्या में विभागीय अमला है और सरकार चाहे तो उस अमले से उक्त कार्य करवा सकती है क्युकी वेतन व भत्ते उक्त विभाग के कार्यरत कर्मचारी भी प्राप्त करते है।
वर्तमान में मास्टरों को सर्वे जैसे कार्य में लगाया गया है और यदि शिक्षकीय सर्वे हो तो कुछ हद तक उचित है परन्तु उक्त सर्वे कार्य में मास्टर लगभग आधा दर्जन विभागों की जानकारी लेने का कार्य कर रहा है जिस से समस्त मास्टर मानसिक, शारीरिक, व आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे है जो की संभवतः मानव अधिकारों का हनन है।
इस बार सर्वे में मास्टरों को दिए गए कार्य का विवरण व सम्बंधित विभाग--
1. समग्र आई.डी. सर्वे व निर्माण--सम्बंधित विभाग पंचायत व उसका अमले द्वारा किया जाता है। परन्तु उक्त कार्य विगत 2 वर्ष से मास्टरों पर कारवाही करने के फरमानो से करवाया जा रहा है।और उक्त कार्य के सम्बंधित अमले का सहयोग न के बराबर है और न ही उनपर कोई कारवाही की जाती।
2. आधार कार्ड निर्माण व लिंक करना-- उक्त कार्य आधार बनाने वाली कंपनी व निर्वाचन नामावली में लिंक करने वालो को सौंपा गया था परन्तु आज मास्टरों से इसकी जानकारी सर्वे के माध्यम से निकलवाई जा रही है।
3. 15 वर्ष से 18 वर्ष के बच्चो का सर्वे--उक्त कार्य व सर्वे हाई स्कूल की श्रेणी में आता है परन्तु सर्वे प्राथमिक व माध्यमिक विभाग कर रहे है। और सम्बंधित स्टाफ सर्वे रिपोर्ट का इन्तजार कर रहा है।
4. गरीबी रेखा के नीचे के परिवार--उक्त कार्य खाद विभाग से सम्बंधित है परन्तु उक्त कार्य मास्टरों से करवाया जा रहा है।
5. नवीन परिवार--उक्त कार्य पंचायत व निर्वाचन सूचि कार्य की श्रेणी में आता है जबकि ये कार्य और इसके फॉर्म मास्टरों से सर्वे के नाम पर भरवाए जा रहे है।
6.मोबाइल नंबर की मांग-- बच्चो को शाला में प्रवेश करने के बाद स्वतः उसका डाटा पालक प्रदान करते है परन्तु यहाँ पुरे ग्राम व शहर के मोबाइल नंबर प्राप्त किये जाने है। जो की स्कूली सर्वे से प्रथक कार्य है।
अब हम बात करते है स्कूली सर्वे की---
स्कूली सर्वे विगत कई वर्षो से 0 से 5 व 6 से 14 वर्ष के बालक व बालिका को स्कूल में प्रवेश हेतु किया जाता है एवं इसके अन्तर्गत शाला त्यागी व अप्रवेशी बच्चो को शिक्षित करने का लक्ष्य व ग्राम या नगर में उक्त आयु के बच्चो की कुल संख्या ज्ञात कर प्रवेश सुनिश्चित करना होता है।
परन्तु वर्तमान के सर्वे कार्य में मास्टरों को उनके अधिकार के क्षेत्र में आने वाले विश्राम अवकाश लाभ से दूर कर शासन व सम्बंधित विभाग द्वारा लगभग 6 विभागों का कार्य लेकर मास्टरों के साथ जो शारीरिक मानसिक व आर्थिंक शोषण किया जा रहा है वो शोषण की पराकाष्ठा है। और उक्त स्थिति हमारे विभाग के दब्बू व चापलूस पदाधिकारियों द्वारा ही निर्मित की गई है यदि हमारे पदाधिकारी चाहे तो अन्य विभाग जो सिर्फ सम्बंधित कार्य करते है की तरह शिक्षा सम्बन्धी कार्य करवाते तो प्रदेश का मास्टर भी अवकाश लाभ लेकर सिंहस्थ जैसे पुनीत कार्य में भागीदार बन धर्म लाभ उठाता और अपने परिवार को अपना अवकाश काल का समय प्रदान कर पाता और आगामी सत्र में जी जान से शैक्षिक कार्य व शिक्षा दान कर प्रदेश का साक्षर भविष्य और बेहतर तरीके से बना पाता परन्तु यदि इसी तरह भविष्य निर्माताओ यदि इसी तरह भविष्य निर्माताओ को अफसर शाही की भेंट चढ़ाया जाता रहा और इस तरह से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता रहा तो केसे हम उज्जवल साक्षर भविष्य की कल्पना कर सकेंगे..उक्त प्रश्न अनुतरित है।
वेसे उक्त सर्वे कार्य के विरोध में कई जिलो में लोगो ने आदेश नही लिए है और कई संघ आगे आये है क्युकी मास्टर एक हद तक शोषित हो सकता है और अफसर शाही यु ही हावी हुई तो मास्टर इसका विरोध सड़क पर आकर जरुर करेगा।
मुश्ताक खान
भोपाल।
मोबाइल नंबर-9179613685
No comments:
Post a Comment