।।एक आम अध्यापक की पीड़ा।।
कल होगी आर पार की शुरुवात
दोस्तों हमारे नेताजी ने बहुत से मीटिंगे कर ली है पिछले 5 महीने में हमारे नेताजी ने सिर्फ मीटिंगे ही की है और कभी 3 कभी 13 कभी 14 तारीखे ही दी है हमारे नेता जी और उनके चेले पिछले 5 महीने से स्वागत सत्कार और आभार और मुलाक़ात कर कर के अभी तक नही थके और न थकेंगे।
हमारे नेता जी के पास वर्ल्ड रिकॉर्ड है की वो फर्जी तारीखे बड़े ही विश्वास के साथ घोषित कर आम अध्यापको का विश्वास तोड़ते है।
हमारे नेता जी ने 5 महीने से कुछ ख़ास तो किया नही है न कटा वेतन दिलवा पाए ना वेतन मान ही मिला बस खुद का सम्मान और नेताओ का आभार व्यक्त करते रहे पहले अनुरोध यात्रा केंसिल की फिर वादा निभाओ केंसिल की फिर उज्जैन की ट्रेन पंचर हुई और आम अध्यापक के हवा भरकर खूब मजे भी लिए और 5 महीने सिर्फ चर्चा,खर्चा,चंदा,कोचिंग और सिम का धंधा करते हुए नजर आये।
जब थोड़ी बहुत हवा चली तो मीटिंग का बिगुल बजाने लगे और रणनीति की जलेबी खिलाने लगे परन्तु अभी पिछले दिनों ग्वालियर, मैहर, फिर विदिशा,फिर इंदौर, फिर सागर, में मीटिंग कर कर के पकाने वाले अभी तक कोई रणनीति नही बना पाए और जब आज आम अध्यापक उग्र हुआ तो दे दी भोपाल मीटिंग की बत्ती अरे भाइयो ये समय सीधे आक्रमण का है या मीटिंग मीटिंग खेलने का? क्या शेर चूहा बन गया या प्रवक्ता जो सीधे आन्दोलन की जगह मीटिंग मीटिंग खेल रहा है यदि ये अपने आपको इतना बड़ा हितेषी समझता है तो 15 से आर पार का आन्दोलन क्यों नही करता कब तक घुमायेगा आम अध्यापको को क्युकी इनको संयुक्त होने से भी एलर्जी है क्युकी इनकी स्व-हितेषी नेतागिरी की बंशी नही बज पाएगी न ही इन्होने 1 को सहयोग ही किया और सहयोग तो दूर लोगो को भ्रमित करते रहे।
यदि ये अपने आपको अध्यापक हितेषी समझते है तो 15 से भूख हड़ताल शुरू कर दे और सबसे पहले आम अध्यापको का कटा वेतन दिलवाए और तब तक भोपाल न छोड़े जब तक मांगे पूरी न हो जाए क्युकी पिछले 5 महीने से मीटिंग मीटिंग कर रहे हो और कब तक करोगे कुछ आर पार का करो तो देखे दम या फिर चूहे की तरह पहले मीटिंग करो फिर घोषणा करो और जब घोषणा की डेट आये तो पहले की तरह स्थगित कर चलते बनो क्या ये ही करते रहोगे या फिर आम अध्यापको का और शोषण करोगे यदि दम है तो कल ही से भोपाल में बैठकर कुछ आर पार का करके बताओ क्युकी आम अध्यापक तुम्हारे मीटिंग और तारीख के खेल में अब नही आने वाला अब और आम अध्यापको को बेबकूफ बनाना बंद करो वरना जय घास और आम अध्यापको का सत्यानास होने से कोई नही रोक सकेगा।
।।एक आम अध्यापक की पीड़ा।।
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