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संयुक्त मोर्चे के आंदोलन का असर : अशोक कुमार देवराले

Wednesday, 4 May 2016

संयुक्त मोर्चे के आंदोलन का असर
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साथियों
      सादर नमस्कार
01 मई 2016 अध्यापक इतिहास का एक यादगार पल.......
(1) सूरज की भयंकर तपन,लू भरी हवाओं के असर के बाद भी अध्यापक पंहुचे यादगारे शाहजहाँनी पार्क ।
(2) अध्यापक आंदोलन को चरम पर पंहुचाने वाले अध्यापकों का एक बार फिर अध्यापक संघों से धोके की आशंका से माहोल में निराशा के बाद भी अध्यापकों का भोपाल पंहुचाना
           निश्चित ही यह सिद्ध करता है कि अध्यापक संयुक्त मोर्चे पर विश्वास है.....
      कई तथाकथित लोंगों द्वारा आंदोलन में संख्या बल को लेकर कई प्रकार की भ्रांतिया पैदा की जा रही है।
      साथियों क्या संख्या बल ही आंदोलन का आधार है.......
(1) ,अगर संख्या बल आधार होता तो बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के आंदोलन असफल नहीं होते
(2) अगर संख्या बल ही आधार होता तो हार्दिक पटेल आरक्षण की जंग जीत गया होता।
(3) अगर संख्या बल ही आधार होता तो हम 10 साल पहले ही सब कुछ ले लेते।
(4) अगर संख्या बल ही आधार होता तो आंदोलन 2015 जो शिक्षक बनने की जिद को लेकर शुरू हुआ था और लूला लंगड़ा वेतनमान लेकर समाप्त नहीं होता।
        साथियों आंदोलन एक रणनीति होती है । एक कार्ययोजना होतो है और समय का महत्व होता है।
     अध्यापक संयुक्त मोर्चे के 01 मई के आंदोलन में ये था जो  हमारे तथाकथित चाहे न देख पाएं हों पर शासन के करता धर्ता भांप गए और अभी तक सब कुछ ठीक कहने वाले अधिकारी ने संयुक्त मोर्चे की बात को सुनी एवं गणना पत्रक की पुनः सुधार हेतु डी.पी.आई प्रस्ताव को भेज दिया।
     तृतीय अंतरिम राहत को बेबजह रोकने वाले अधिकारी हरकत में आये और शीघ्र आदेश को प्रसारित कर दिया।
      संयुक्त मोर्चे की रणनीति को समझकर कार्य को प्रगति दे दी।
      इस आंदोलन को संख्या से नहीं सफलता से आंकलन किया जाना चाहिए।
      साथियों इसके बाद भी अगर वेतनमान के गणना पत्रक में कोई विसंगति होती है तो हम सब मिलकर एक ईमानदार नेतृत्व जिसके ऊपर एक भी दाग नहीं है श्री बर्जेश शर्मा के नेतृत्व में पुनः विराट आंदोलन खड़ा करेंगे और अपना हक़ लेंगें।
     वैसे तो सभी की संयुक्त मोर्चे के बैनर तले ही आंदोलन करना चाहिए
      परन्तु अध्यापक हित को दरकिनार कर कुछ अध्यापक संगठन अपनी छवि एवं नाम के लिए आंदोलन हेतु बैचेन हैं क्योंकि संयुक्त मोर्चे में आने पर शायद उन्हें अपना वजूद खतरे में दिखाई देता है
        साथियों हम चाहते हैं की गणना पत्रक जारी होने से पूर्व ही विसंगति रहित हो जाय।
        देखते है एक ईमानदार प्रयास कितना सफल होता है

           अशोक कुमार देवराले
              प्रांतीय सदस्य
    अध्यापम संयुक्त मोर्चा म.प्र.

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