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मैं शिक्षा विभाग वाला नहीं जिगर वाला हूँ
✍कड़ी मेहनत के बाद मैंने शिक्षा विभाग की नौकरी पायी है,
प्राईमरी शिक्षक बना तो जाना, यहाँ एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई है।
✍जहाँ कदम कदम पर ज़िल्लत, और घड़ी घड़ी पर ताने हैं,
यहाँ मुझे अपनी ज़िन्दगी के कई साल बिताने हैं।
✍अपनी गलती ना हो लेकिन क्षमा याचना हेतु हाथ फैलाने हैं.
फ़िर भी बात-बात पे निलंबन और पनिसमेन्ट ही पाने हैं.
✍जानता हूँ ये 'अग्निपथ' है, फिर भी मैं चलने वाला हूँ,
क्योंकि मैं शिक्षा विभाग वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
✍जहाँ एक तरफ मुझे औफिसर की, और दूसरी तरफ जनता की भी सुननी है,
यानी मुझे दो में से एक नहीं, बल्कि दोनों राह चुननी हैं।
✍शिक्षक अगर लेट हुआ तो अधिकारी चिल्लाते हैं.
गलती चाहे किसी भी की भी हो सजा तो हम ही पाते हैं.
✍दो नावों पे सवार हूँ फिर भी सफ़र पूरा करने वाला हूँ,
क्योंकि मैं शिक्षा विभाग वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
✍आसान नहीं है सबको एक साथ खुश रख पाना,
परिवार के साथ वक़्त बिताना, और शिक्षा विभाग में cl बचाना।
✍परिवार के साथ बमुश्किल कुछ वक़्त ही बिता पाता हूँ,
घर जैसे कोई स्टेशन हो, वहां तो बस आता और जाता हूँ।
✍फिर भी हर मोड़ पर मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने वाला हूँ,
क्योंकि मैं शिक्षा विभाग वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
✍प्रताड़ित हर मोड पर, फिर भी सबसे ज्यादा काम करते हम शिक्षक रिस्क लेने से, कभी भी नहीं डरते हैं।
✍अन्तरजनपदीय ट्रांस्फ़र की बात पर, हमें सालो लटकाया जाता है,
हक़ की बात करने पर ठेंगा दिखलाया जाता है।
✍ये एक लड़ाई है, इसमें सबको साथ लेकर चलने वाला हूँ,
क्योंकि मैं शिक्षा विभाग वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
✍ देश के कोने कोने से आये लोगों ने, जहाँ शिक्षा को अपना धर्म बना लिया,
छुट्टी मिली ना घर जा सके, विद्यालय में ही ईद-दिवाली-क्रिसमस मना लिया,
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टिफ़िन से टिफ़िन जब मिलते हैं, तो एक नया ही ज़ायका बन जाता है,
खुद के बनाये खाने में, और घर के खाने में फ़र्क़ साफ़ नज़र आता है।
✍मजबूरी ने इतना कुछ सिखाया, आगे भी बहुत कुछ सीखने वाला हूँ,
क्योंकि मैं शिक्षा विभाग वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
✍ लोग समझते है कि शिक्षक बड़ा मजा करते है,
सिग्नेचर और कौल अटेंड, ना काम दुजा करते हैं.
✍ अब उन्हें कौन समझाए, कि काउंटर के दूसरी तरफ होने के कितने फायदे हैं,
आफीसर चाहे मनमानी करे, शिक्षक के लिए बड़े सख्त कायदे हैं।
✍✍ सबको मैं बदल नहीं सकता, इसलिए अब ख़ुद को बदलने वाला हूँ,
क्योंकि मैं शिक्षा विभाग वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
क्योंकि मैं शिक्षा विभाग वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
(ये कविता मेरे सारे शिक्षकों को समर्पित हैं)
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