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संविदा गीता
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👌हे ! संविदा ..
तुम क्यो व्यर्थ चिंता करते हो ? तुम्हारा क्या खो गया है ? तुम क्यो धैर्य खो रहे हो ? तुम्हारा क्या शेष रह गया ?
👌सुनो ! संविदा ...
तुम तीन वर्ष की संविदा अवधि लेकर ही आये थे ना...फिर किस बात की चिंता कर रहे हो संविदा ...सच बताओ ! एसा नही लगता तुम्हे कि तुम ज्यादा आतुर हो रहे हो ...
👌अरे ! संविदा ...
सब समय के फेर के साथ सफर करते है...आज जो अध्यापक है ये बीते कल मे संविदा ही थे..आज तुम संविदा हो कल तुम भी अध्यापक होंगे...
👌रूको ! संविदा ..
सब तरफ नजर दौडाओ ..देखो ये सभी तुम्हारे ही साथी है ना...फिर इनका जश्न तुम्हारा जश्न क्यो नही हो सकता है ?
👌बोलो ! संविदा....
तुम यह क्यो भूलते हो कि परिवर्तन प्रक्रृति का नियम है .आज जो इनका है वो कल तुम्हारा ही तो होगा..इसलिये..हे ! संविदा ...इनके जश्न मे तुम भी हिस्सा लो ..कल का भविष्य तुम्हारा बहुत उज्जवल होगा..
👌शाबास ! संविदा ....
तुम्हारी विश्वसनियता और योग्यता पर कतई संदेह नही है..और हॉ संविदा ..तुम्हे किसी आस. रास.या मुखिया के किसी खास को कोई प्रमाण देने की आवश्यकत्ता नही है.. विशिष्ठ योग्यता और अभूतपूर्व ज्ञान क्षमता के कारण तुम्हारी इस संसार मे अमर पहचान बनेगी...
👌मेरी बात मानोगे ! संविदा...
मन मे मचे द्वंद से बाहर निकलकर अपनी शाला के अध्यापक साथी को तुरंत शुभकामनाए प्रेषित करो...तुम्हारे सबसे करीबी अध्यापक साथी के साथ झूमकर जश्न मना....खूब झूम...
मानोगे ना ! संविदा...
आपका ही संविदा साथी
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