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अध्यापक ने कौन सी जीत का उत्सव मनाया

Sunday, 27 December 2015

अध्यापकों की कौनसी जीत पर उत्सव मनाया
फेशबुक पर चौथी किश्त का उत्सव अब शांत हो चुका है, इसीलिए इस पर लिखना चाहिए।
सवाल यह है कि मिला क्या है?
इसका सीधा जबाव है, जो 8 महीने बाद सितंबर 2016 में मिलना था, वह जनवरी 2016 में मिला है। लेकिन यह न तो जीत जैसी कोई बात है और न ही मुख्यमंत्री का कोई उपकार। चौथी किश्त सातवें वेतनमान के लागू होने से पहले मिलना उसी दिन तय हो चुका था जिस दिन चार किश्तों में छठा वेतनमान सरकार ने स्वीकार किया था। यही थी मुरलीधर पाटीदार की सूझबूझ। पाटीदार की इसी समझदारी भरे फैसले के कारण ही अध्यापकों में जीत का अहसास है, हालांकि ऐसा ही अहसास 2013 में भी हुआ था, जिसे याद नहीं किया जा रहा है।
जनवरी 2016 में ही चौथी किश्त क्यों मिलना थी?
यह सवाल पूछा जा सकता है। इसका सीधा सा जबाव है कि मप्र सरकार मुरलीधर पाटीदार के बुने जाल में पहली बार तब फंसी थी, जब उसने नाम परिवर्तन के साथ वेतनमान दिया और राज्य सरकार के कर्मचारियों की तरह अध्यापकों को भी समय-समय पर डीए जैसे आर्थिक लाभ देने का आदेश जारी किया था। यही वे आदेश थे, जिन्होंने अध्यापकों को राज्य कर्मचारियों के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया था और काम कराया था राज्य अध्यापक संघ के अध्यक्ष मुरलीधर पाटीदार ने।
इसके बाद अध्यापकों के लिए जो कुछ बचता है वह है शिक्षा विभाग में संविलियन।
उत्सव मना रहे मित्रों से मैं जान सकता हूं कि क्या संविलियन जैसा काम हो गया।
यदि नहीं हुआ है, तब यह उत्सव और उल्लास कैसा?
मुरलीधर पाटीदार ने मध्यप्रदेश में संघर्षों से जीतने की परंपरा शुरू की है, जिसे आगे बढ़ाने की वजाय हम बिना कुछ हासिल किए उत्सव मना रहे हैं, तब यह कहना गलत नहीं होगा कि पाटीदार हल्ला मचाकर नहीं तैयार होते। पाटीदार बनना है, तब हल्ला मचाने से अधिक दिमाग लगाने की जरूरत होती है। सीएम हाऊस में मनाए गए उत्सव से यही प्रमुख चीज गायब थी, इसीलिए किसी ने यह नहीं जानना चाहा कि मंच पर जिसे होना चाहिए वह क्यों नहीं है?
पाटीदार के बिना सीएम हाऊस का उत्सव आम अध्यापकों में ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाया, यह बात मैं उस दिन से अब तक आए सैकड़ों हजारों फोन एवं इनबाक्स के मैसेजों के आधार पर कह रहा है। अधिकांश अध्यापकों का यही कहना था कि वहां पाटीदार को होना चाहिए था?
उम्मीद है शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ शुरू हो रहे आंदोलन में उनकी सक्रियता दिखाई देगी, ऐसी उम्मीद प्रदेश के हर अध्यापक को है।
साभार
वासुदेव शर्मा
प्रस्तुति
एच एन नरवरिया
सोशल मीडिया प्रभारी RAS

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