सभी साथियो को 1 मई मजदुर दिवस / अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं प्रत्येक वह व्यक्ति जो की किसी व्यक्ति अथवा संस्था से जुड़ा हो और अपने श्रम के बदले मेहनताना लेता है, श्रमिक कहलाता है इसकी शुरुआत 1 मई 1886 से मानी जाती है जब मजदूरों का शोषण अपने चरम पर था उनसे 10 से 16 घंटे अनिवार्य काम लिया जाता था एवं उनकी सुरक्षा का ध्यान भी नहीं रखा जाता था , काम के भोज और थकान के कारण हादसों में कई कर्मियों को मौत हो जाया करती थी कोई मुआवज़े का प्रावधान भी नहीं था , तो अमेरिकी मजदुर यूनियनों ने काम के समय 8 घंटो से ज़्यादा न बड़ाए जाने का विरोध किया तो अन्जान पूंजीपतियों ने हड़ताली मजदूरों पर बम से हमला करवा दिया जिसके परिणाम में मजदुर आक्रोशित हुए तो पुलिस ने उन मजदूरों पर गोलियां बरसा दी जिससे 7 मजदूरों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए लंबे संघर्ष के बाद सरकार को इनकी मांगे माननी पड़ी जिसके परिणाम में आज भारत सहित पुरे विश्व में मजदूरों के काम के घंटे की शिफ्ट अधिकतम 8 घंटे ही है इससे अधिक पर ओवर टाइम का मेहनताना मिलता है । मजदूरों के हक़ को लेकर आवाज़ सदियों से उठती रही है पैगम्बर मोहम्मद सल. साहब ने कहा था कि मजदुर की मजदूरी का पैसा मजदूर के हाथ सूखने से पहले ही दे दिए जाने चाहिए , गुरु नानक जी ने भी भारत में मजदूरों की आवाज़ उठाई जिसे पंजाब में भाई लालो के रूप में मनाया जाता है । ,किसी भी देश का बुनियादी ढांचा और तरक्की उस देश के मजदूरों मेहनत कशो और किसानों पर निर्भर करती है आज के दिन हम सभी कामगारों को एक दूसरे को बधाई तो देनी ही चाहिए साथ ही विभिन्न कार्यक्रमो का भी आयोजन करना चाहिए , महात्मा गांधी ने कहा था कि इंद्रस्टियलिस्ट अपने को मालिक न माने वो अपने को एक ट्रस्टी माने जिस तरह लोक तंत्र में सरकार मालिक नहीं होती वो एक ट्रस्टी की तरह काम करनी चाहिए । भारत जैसे वृहद देश में जहाँ विभिन्न जाति , धर्म ,भाषा , संस्कृति के लोग रहते है तो राजनेताओं और पूंजीपतियों द्वारा ये षड्यंत्र हमेशा रचा जाता रहा है कि आम जन को धर्म, जाति के आधार पर लड़ाते रहो जिससे ये अपने मुख्य मुद्दों से भटक जाए , किसी महापुरुष ने कहा भी की जब शासक, सरकार लोगो के हित में काम नहीं कर पाती उनकी तरक्की के अवसर ,रोजगार स्वास्थ , मजदूरों ,किसानों ,नोकरी पेशा लोगो की समस्याओं को हल नहीं करवा पाती तो पूंजीपतियों के साथ मिल कर जनता को धर्म , नस्ल(श्वेत , अश्वेत ) जाति , भाषा संस्कृति ,छद्म राष्ट्रवाद , के नाम पर लढ़ाने का काम करने लगती है । आज कई देशों में यही हो रहा है
ऐसे में आज के वक़्त दुनिया और भारत के मेहनत कशा लोगो , नोकरी पेशा लोगो(श्रमिको) किसानों , को चाहिए की वो ऐसी बातों को समझे और लोकतंत् में ऐसे लोगो को अपना जन प्रतिनिधि चुने जो उनकी समस्याओं को जगह दे उनके हितों की बात करे , उनकी सुरक्षा के साथ उनके परिवार के भविष्य के लिए ठोस कदम उठाए । न की उधोगपतियों , पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बना रहे ।
आज का दिवस सभी को एक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए
मजदुर हूँ ,मजबूर नहीं
ये कहने में मुझे शर्म नहीं,
अपने पसीने की खाता हूं
में मिट्टी से सोना बनाता हूँ
जय हिंद जय मजदुर एकता
*मैं मजदुर हूँ, मुझे देवों की बस्ती से क्या?*
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
*मैं मजदुर हूँ मुझे देवों की बस्ती से क्या!*
*अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाये,*
*अम्बर पर जितने तारे उतने वर्षों से, मेरे पुरखों ने धरती का रूप सवारा;*
*धरती को सुन्दर करने की ममता में,*
*बीत चुका है कई पीढियां वंश हमारा.*
*अपने नहीं अभाव मिटा पाए जीवन भर, पर औरों के सभी अभाव मिटा सकता हूँ;*
*युगों-युगों से इन झोपडियों में रहकर भी, औरों के हित लगा हुआ हूँ महल सजाने.*
*ऐसे ही मेरे कितने साथी भूखे रह,* *लगे हुए हैं औरों के हित अन्न उगाने;*
*इतना समय नहीं मुझको जीवन में मिलता, अपनी खातिर सुख के कुछ सामान जुटा लूँ*
*पर मेरे हित उनका भी कर्तव्य नहीं क्या? मेरी बाहें जिनके भारती रहीं खजाने;*
*अपने घर के अन्धकार की मुझे न चिंता, मैंने तो औरों के बुझते दीप जलाये.*
*मैं मजदुर हूँ मुझे देवों की बस्ती से क्या?*
*अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाये.*
-
*-मजदुर दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।*
अध्यापक वेब
Is Kavita Mein Kavi Kiska gungan kar raha hai tatha Kavi ke anusar Mazdoor aur unke purvajo usne kya kaam kar dikhaya hai
ReplyDeleteIncomplete poem
ReplyDeleteNoo
DeletePlease correct the spellings....मजदुर??? or मजदूर??
ReplyDelete